जीवन अधूरी अभिलाषाओं का संग्रह है !
तुम्हारा यथार्थ में आना सम्भव नहीं
हर बार सुबह का भूला शाम को घर नहीं लौटता
कई बार वो दूसरे ठौर जाकर ही अपना घर बसा लेता है
परन्तु मैं हर रोज़ कल्पना करती हूँ
की तुम यहीं हो
यहीं हो - यहीं हो।
दिन भर की तंग दिनचर्या के बाद
रात्रि में तुम्हें स्वप्न में देखना
मानो
मेरे जीवन को परिपोषित करता है
मेरा जीवन प्रज्वलित हो उठता है
तुम्हारा इस तरह आना
मुझे आगामी जीवन के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
तमाम दूरियों की बाद भी
तुम्हें अपने नजदीक
सबसे नजदीक पाना
इससे अधिक क्या किसी को पाया जा सकता है?
इन दूरियों को पाटने की क्षमता
केवल कल्पना में है।
तुम्हें अपने पास पाने की ये अनुभूति
हृदय को इतनी स्थिरता प्रदान करती है
की मेरा हृदय इस कल्पना से यथार्थ में जाने का साहस कभी नहीं कर पायेगा।
यथार्थ कितना निर्दयी है
जीवन की सारी संभावनाओं को समाप्त कर देता है
उसी बीच कल्पना उभरती है एक नई उम्मीद लेकर...