वंदना की दो कविताएँँ


 १.

बेटे द्वारा घर में रखी
आख़िरी रोटी मांगने पर
माँ अपनी भूख भूल जाती है।


प्रेमी द्वारा गले लगकर 
पूर्व प्रेमिका को याद करके रोता देख
प्रेमिका अपना प्रेम भूल जाती है।

उत्तराधिकार के फैसले होते समय 
बेटियाँ अपना हिस्सा मांगना 
भूल जाती है।

पिता द्वारा इज़्ज़त का हवाला देते हुए 
कहीं और शादी तय करने पर 
लड़के अपनी प्रेमिका भूल जाते है।

कुछ चीज़ें गैर - ज़रूरी समझकर 
इस तरह भुलाई जाती है जैसे
पूर्व में वे कभी अस्तित्व में थी ही नहीं 
जबकि उस समय 
उन चीज़ों से ज्यादा ज़रूरी शायद कुछ और नहीं था...


२.

बदलाव सृष्टि का नियम है
चीज़ें अनायास ही बदलती है
कुछ बढ़ती है
कुछ घटती है।

बढ़ना प्रायः सुखदायी होता है
और घटना तकलीफदेह।

किन्तु बेटियाँ चिंतित है
इन दोनों ही घटनाओं से
आखिर क्यों बढ़ती है
पिता की उम्र 
और क्यों घटती है
बढ़ती उम्र के साथ उनकी रोटियाँ।


- वंदना

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