१. झुकना एक महत्वपूर्ण क्रिया है
धान रोप रही स्त्रियां
झुकी रहती हैं
और एक गीत गुनगुना रही होती हैं
वे गीत
कीचड़ से जड़ के मिलन के गीत होते हैं
जो झुककर ही गाए जा सकते हैं
झुकना एक महत्वपूर्ण क्रिया है
यह टूटकर गिरने से बचा लेता है
मैं कवि हूँ
युद्ध की चर्चा करना मेरे लिए वर्जित है
मुझमें यह हुनर
जीवन के गीत गाने के लिए भरा गया है
यह जीवन जो खेतों से अर्थ पाता है
और फसलें जिसमें मुस्कुराहट भरती हैं
खेतों में फसल के बीच झुके लोग
दरअसल मुस्कुराहट को सहेजने के उपक्रम में लगे होते हैं
गेहूं काटने आए लोग
इस तरह झुक जाते हैं
जैसे कोई स्त्री बच्चे को गोद में उठाने के लिए झुकती हैं
झुकने की इसी विनम्रता पर
दाने सोने से चमकते हैं
जैसे कोई सिर पर बोझा उठाने के लिए झुकता है
और फिर तनकर दुलक चलने लगता है
मैंने मूंग की फलियां को चुनते हुए देखा
वे झुककर चुनी जा रही थीं
झुकना तनकर चलने का साहस होता है
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२. बारिश के स्वागत में वंदनवार
हवा नमी लेकर चल रही है
जरूर कहीं बारिश हुई होगी
अभी दोपहर तक तो
यह रूखापन लेकर उड़ रही थी
बारिश से मुझे याद आया
कि परसों चाँद पूरा निकला था
यह आषाढ़ का महीना चल रहा है
आषाढ़ आते ही
यहाँ लोग धान का उच्चारण करने लगते हैं
धान सावन में रोपा जाता है
और वे खेत जो सावन में व्यस्त रहते हैं
उनकी गोद को
भादो में धान के बिचड़े से भर दिया जाता है
बिचड़े धान के बच्चे होते हैं
खेत उन बच्चों का पालनहार बनता है
आषाढ़ में
जब बारिश धरती पर उतर रही होती है
लोग धान के बीज बोते हैं
धान का बिचड़ा
बारिश के स्वागत में वंदनवार जैसा है
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३. वृक्ष अक्सर झूमकर आभार प्रकट किया करते हैं
बादल अपनी बूंदें
धरती के नाम लिख देता है
धन्यवाद कहने का ढंग
सबका अलग होता है
जैसे वृक्ष अक्सर झूमकर आभार प्रकट किया करते हैं
जब वे हरे होते हैं
और उनमें फूल लगते हैं
फूलों की गमक से
वे मौसम को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे होते हैं
धरती पर गिरे फूल
और पीले पत्ते
आराधना की एक प्रक्रिया होती है
वे मिट्टी को नमन करने
नीचे उतरते हैं
हवा और पके फल
मनुष्यों के प्रति उनका प्यार है
जिसे वृक्ष मुस्कुराते हुए बांटता है
और बदले में मिली दुआ से
दूर तक फैलता चला जाता है
छांव एक आशीष है
जो पुरखों के नेक काम की वजह से हमें मिलता है
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४. एक प्यारी रात के बारे में
स्त्री की गोद में
एक सात महीने का बच्चा है
वह दूध चुसक रहा है
स्त्री अपनी एक जांघ को हिला रही हैं
और वह बच्चा
आंखें बंदकर नींद में उतर रहा है
उसके सामने पालथी मारकर बैठा एक चार साल का लड़का
कुनमुनाए जा रहा है
स्त्री देर तक उससे मनुहार करती हैं
तब वह लड़का
अपना थोड़ा सा मुंह खोलता है
और स्त्री
बड़ी फूर्ति से उसके मुंह में
रोटी का एक छोटा सा टुकड़ा डाल देती हैं
स्त्री हरेक बार उससे यही कहती हैं
कि बस एक कौर और
फिर वह राजा बेटा हो जाएगा
पुरुष बिस्तर झाड़ रहा है
और लड़के को टोक रहा है
कि सुनो तो
अब वह किस्सा तैयार है
अगर वह एक पूरी रोटी खा लेगा
तो हम जंगल में भटके राजकुमार को ढूंढने निकल जाएंगे
आंगन में बैठी एक बूढ़ी औरत मंगल गीत गुनगुना रही हैं
सड़क पर खड़ा बूढ़ा
पूरब की ओर निहार रहा है
पश्चिम दिशा से
मधुर हवा चल रही है
और आसमान में उगा आधा चाँद
धरती को निहार रहा है
बूढ़े को हवा का इस तरह बहना
बड़ा अच्छा लग रहा है
आधे चाँद की रौशनी में
उसका चेहरा पूरा चमक रहा है
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